Saturday, May 18, 2024
उत्तराखंड

दूधबोली को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए धाद ने शुरू किया मातृभाषा सप्ताह

देहरादून। अपनी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और स्कूलों में राज्य की मातृभाषाओं को पढ़ाने की थीम के साथ धाद का मातृभाषा सप्ताह शुरू हो गया। धाद और रूम टू रीड के आयोजन के पहले दिन देहरादून में साहित्यकार शांति प्रकाश जिज्ञासु और उधमसिंह नगर में सामाजिक कार्यकर्ता हेम पंत ने स्कूलों में उत्त्तराखण्ड की भाषाओं में कहानी पढ़ाई। धाद और रूम टू रीड के मातृभाषा सप्ताह का शुभराम्भ देहरादून के प्राइमरी स्कूल डांडा खुदानेवाला में हुआ। जहां गढ़वाली साहित्यकार शांति प्रकाश ‘जिज्ञासु’ ने बच्चो को गढ़वाली भाषा में जानकारी के साथ सूरज की सूझबूझ कहानी सुनाई। अपना अनुभव बताते हुए उन्होने कहा कि हालांकि छात्रों में गढ़वाल क्षेत्र के बच्चे कम थे। लेकिन वह गढ़वाली भाषा से परिचित थे। जिन बच्चों से गढ़वाली में पूछा गया। उन्होंने बहुत अच्छा उत्तर दिया जैसे मक्की के लिए उन्होंने मुंगरी कहा, बंदर के लिए बांदर कहा, यह बहुत अच्छा अनुभव रहा। उन्होंने स्कूल को मातृभाषा साहित्य भी भेंट किया। आयोजन का दूसरा अध्याय उधमसिंह नगर में सामाजिक कार्यकर्त्ता हेम पंत द्वारा राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर ने कुमांऊनी भाषा के बारे में बताते हुए कहानी सुनाई। उन्होंने छात्राओं को मातृभाषा का महत्व बताया और भारत की भाषा विविधता और विलुप्त होती बोली भाषाओं के बारे में भी बात की। इस अवसर पर कहानी वाचन भी हुआ। मातृभाषा सप्ताह की जानकारी देते हुए संस्था के सचिव तन्मय ने बताया कि आयोजन की थीम नई पीढ़ी को उनकी मातृभाषा से जोड़ना है। इसलिए आयोजन का सूत्रवाक्य दिया गया है। अपनी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं और प्रदेश के सभी स्कूलों में यहां की भाषाओं को पढ़ाएं।

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