राही के लिए सडक़ और उनका कारोबार
एक कमाल की खबर सुनने में आई कि एक विधायक ने उद्घाटन के लिये सडक़ पर नारियल तोड़ा तो नारियल तो नहीं टूटा पर सडक़ का एक हिस्सा टूट गया। एक छोटे से नारियल ने हमारे सडक़ ठेकेदारों की आत्मा की असलियत बता दी। ठेकेदार और अधिकारी एक ही दस्ताने में हाथ रखते हैं ताकि हैरतंगेज फायदेमंद कारनामे कर सकें। नारियल के आघात से सडक़ टूटना है तो ताज्जुब की बात पर मेरे देश में हैरानी इसलिये नहीं होनी चाहिये क्योंकि यहां सडक़ें इसी मापदंड पर बनाई जाती हैं कि वे जल्द टूटें और टेंडर फिर निकलें। इस तरकीब से ठेकेदार और कर्मचारी चांदी कूटने में लगे रहते हैं। इधर किसी का ध्यान ही नहीं है कि कहां अन्याय हो रहा है बल्कि सब इस खोज में जुटे हैं कि अन्य आय कहां से आये।
दरअसल, नारियल अम्बुजा सीमेंट से निर्मित होगा और सडक़ अवश्य ही मिट्टी और गारे के मिश्रण से बनी होगी। कटाक्ष में एक मनचले ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुये कहा कि नारियल विपक्ष के साथ मिला हुआ था। इन्हीं सडक़ों पर चलकर नेतागण वोटर के दरवाजे पर माथा फोडऩे जाते हैं। सडक़ के पुनर्निर्माण के वादे करते हैं और जीत कर वही ढाक के तीन पात।
मुर्गे से जब किसी ने पूछा कि तुम्हें लोग जीने नहीं देते, काट डालते हैं तो मुर्गा बोला- दूसरों को जगाने वालों का यही हश्र होता है। जो भी आदमी पोल खोलने की जुर्रत करता है, उसका जीना मौत से भी बदतर हो जाता है। आम आदमी की तरक्की तब तक संभव ही नहीं है जब तक देश में भ्रष्टाचार व्याप्त है। हम दीमक से अपना घर बचाने के लिये उपचार करते रहते हैं और कुर्सी के कीड़े देश को खोखला करने की योजनाओं में जुटे हैं।
जिन अंग्रेजों को हमने लुटेरा कहा, उन्होंने तो ऐसे पुल, भवन और रेल की पटरियां बिछाईं कि दो-तीन शताब्दियों के बाद भी सही सलामत हैं। पर हमारे ही देश के हितैषी ऐसा काम करते हैं कि निर्माण हाथ की हाथ ही ढहने लगते हैं। एक नारियल ने हमारे समूचे सिस्टम की पोल खोल दी। वह भी समय था जब चर्चा हुआ करती कि फलां अफसर बेईमान है और अब गिनती इस बात की होती है कि ईमानदार कौन-कौन बचे हैं। मेरे आज के मुद्दे पर एक लोक कविता भी पढऩे को मिली है-
करेले की ठहरी सगाई, शकरकंदी नाचन को आई,
नारियल बड़ा ही सॉलिड निकला, सडक़ की करदी कुटाई।