Monday, April 29, 2024
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संत की गरिमा और उसकी भाषा ही उसके उत्तम चरित्र को दर्शाती है

हरिद्वार – अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि युवा संतों को सनातन धर्म की पताका को फहराने में अपना योगदान देना चाहिए। संत सदैव ही धार्मिक क्रियाकलापों से भक्तों को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े संत हमेशा ही मानव सेवा में अपना योगदान देते चले आ रहे हैं। यह बात उन्होंने ब्रह्मलीन स्वधर्मानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी मनोनीत किए गए प्रकाशानन्द सरस्वती के पट्टाभिषेक समारोह में कही। नरेंद्र गिरि ने कहा कि संत परंपराओं के निर्वहन करने में गुरुओं की निर्णायक भूमिका देश सहित विदेशों में भी बनी हुई है।उन्होंने कहा कि मठ-मंदिरों, आश्रमों की परंपराओं का निर्वाहन ठीक रूप से किया जाना चाहिए। संत की गरिमा और उसकी भाषा ही उसके उत्तम चरित्र को दर्शाती है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वधर्मानन्द के अधूरे कार्यों को भलीभांति संचालित करने में अवश्य ही प्रकाशानन्द सरस्वती निर्णायक भूमिका निभाएंगे। महामंडलेश्वर प्रबोधानन्द गिरि ने कहा कि संत की वाणी मर्यादित होती है। मनुष्य कल्याण में किए गए कार्य ही संत को प्रसिद्धि दिलाते हैं। सेवा कार्यों का जितना भी प्रचार-प्रसार अपने माध्यम से किया जाए, वह अवश्य ही लाभकारी सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि गो, गंगा सेवा से जुडक़र अपनी सनातन परंपराओं का निर्वहन करते रहें। महामंडलेश्वर अनन्तानन्द और बाबा हठयोगी ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। नवनियुक्त उत्तराधिकारी प्रकाशानन्द सरस्वती ने कहा कि जो जिम्मेदारी संत महापुरुषों ने उन्हें सौंपी है, उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वाहन करते हुए ब्रह्मलीन स्वधर्मानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी करते हुए सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार प्रसार में योगदान किया जाएगा। इस अवसर पर अखाड़ों के संत महापुरुषों ने तिलक चादर भेंटकर प्रकाशानन्द सरस्वती को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस दौरान महंत डोगर गिरि, महंत रामरतन गिरि, महंत लखन गिरि,आशुतोष पुरी, श्रीमहंत आशीष गिरि, साध्वी योगी श्रद्धानन्द, प्रबोधानन्द गिरि, सत्यव्रतानन्द, आशुतोष पुरी, महंत विनोद, अनन्तानन्द, देवेंद्रानन्द सरस्वती, महंत श्याम प्रकाश, महंत विनोद महाराज, बैरागी दयानन्द सिद्धू आदि शामिल रहे।

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