Sunday, April 28, 2024
उत्तराखंड

आज होगा सेवों का त्‍यौहार, दुनिया में मिलेगी नयी पहचान

देहरादून।

सेब उत्पादन के मामले में उत्तराखंड भले ही देश में तीसरे स्थान पर हो, लेकिन यहां के सेब को अभी तक वह पहचान नहीं मिल पाई है, जिसका वह हकदार है। वजह है इसकी ब्रांडिंग को लेकर हर स्तर पर अनदेखी। परिणामस्वरूप उत्तराखंड का सेब आज भी हिमाचल एप्पल के नाम से बिकता है। इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित करने की ठानी है। इसी कड़ी में उद्यान विभाग 24 से 26 सितंबर तक देहरादून में ‘इंटरनेशनल एप्पल फेस्टिवल’ आयोजित करने जा रहा है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के अलावा अमेरिका, यूरोप समेत अन्य देशों में उत्पादित सेब प्रदर्शित किए जाएंगे। इस दौरान उत्तराखंडी सेब की देश-दुनिया में ब्रांडिंग कैसे हो, इसे लेकर गहन मंथन होगा। साथ ही सेब उत्पादकों को विपणन के गुर भी सिखाए जाएंगे।
उत्तराखंड में 25785 हेक्टेयर क्षेत्र में 58 हजार टन से अधिक सेब की पैदावार हो रही है। गुणवत्ता के मामले में भी यहां का सेब किसी से कमतर नहीं है। हर्षिल, आराकोट, मुनस्यारी का सेब अधिक रसीला होने के कारण यह अमेरिकन सेब को भी मात देता है। यह दिल्ली समेत अन्य राज्यों में भी लगातार पहुंच रहा है। इस सबके बावजूद उत्तराखंड के सेब के सामने पहचान का संकट बेहद कचोटने वाला है। हालांकि, राज्य गठन के बाद से ही सेब की ब्रांडिंग पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसे लेकर सरकार, सेब उत्पादकों व उनके संगठनों की ओर से खास गंभीरता नजर नहीं आती।
उद्यान निदेशक डा एचएस बावेजा के मुताबिक सेब की ब्रांडिंग के लिए विभाग और सेब उत्पादक दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे। अब इसे बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है, ताकि पड़ोसी राज्य हिमाचल की भांति सेब यहां की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। साथ ही उसे नई पहचान भी मिल सके। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल एप्पल फेस्टिवल में ब्रांडिंग, पैकेजिंग, प्लांट मटीरियल जैसे विषयों पर विशेषज्ञों व सेब उत्पादकों के बीच विमर्श भी होगा। इसमें आने वाले सुझावों के आधार पर ब्रांडिंग के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही बदली परिस्थितियों में सेब के विपणन को क्या रणनीति होनी चाहिए, इस विषय पर भी चर्चा की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *