जल सहेजने वाला शांतिकुंज का यह प्रयास दिला रहा सुकून
हरिद्वार
आध्यात्मिक संस्था गायत्री तीर्थ शांतिकुंज सामाजिक सरोकारों का भी बखूबी निर्वहन कर रही है। खासकर जल संरक्षण के क्षेत्र में। शांतिकुंज में रोजाना 50 हजार लीटर इस्तेमाल किए हुए पानी को रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग में लाया जाता है। यहां की हरियाली और बागवानी ही नहीं, रिहायशी इलाके की साफ-सफाई, धुलाई आदि भी इसी पानी से होती है। खास बात यह कि हरिद्वार में शांतिकुंज ने ही सबसे पहले वर्षा जल के संरक्षण की पहल की और इसके लिए पुख्ता इंतजाम भी किए। इसी का नतीजा है कि आज शांतिकुंज में वर्षा जल की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाती।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में इंजीनियर, कारीगर व कलाकारों के साथ ही साधना व कला कौशल प्रशिक्षण शिविरों के हजारों प्रशिक्षु, साधक और कर्मयोगी निवास करते हैं। इन सभी के लिए अन्य व्यवस्थाओं के साथ-साथ विशाल भोजनालय भी चलता है। यहां पांच से आठ हजार श्रद्धालु भी रोजाना भोजन करते हैं। पर्व व विशेष आयोजनों पर तो यह संख्या 20 हजार से अधिक पहुंच जाती है। ऐसे में भोजन बनाने, सब्जी, बर्तन व हाथ धोने आदि कार्यों में हजारों लीटर पानी इस्तेमाल होता है। पूर्व में यह इस्तेमाल किया हुआ पानी नालियों में बह जाता था, जिसे संरक्षित और दोबारा उपयोग में लाने का अनूठा प्रयोग शांतिकुंज ने किया है। वर्तमान में यहां रोजाना 50 हजार लीटर के आसपास पानी अपव्यय होने से बचाया जा रहा है।