पीके पंजाब में री-एंट्री से कांग्रेस में हलचल
चंडीगढ —
पंजाब में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की री-एंट्री हो गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा उन्हें अपना प्रधान सलाहकार बनाकर कैबिनेट रैंक देने से पंजाब कांग्रेस में हलचल है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से पंजाब कांग्रेस में घमासान सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पूरे मामले में कांग्रेस के कैप्घ्टन अमरिंदर सिंह विरोधी नेता इंतजार कर रहे है कि पार्टी हाईकमान का क्या रुख रहता है। 2017 में भले ही प्रशांत किशोर ने कैप्टन को ब्रांड के रूप में उभारा था लेकिन इसमें कांग्रेस दिखाई नहीं दे रही थी। इसकी वजह से पार्टी के कई नेता नाराज भी थे। कमोवेश वही स्थिति अभी से बननी शुरू हो गई है।
कांग्रेस की विरोधी पार्टियों ने भले ही प्रशांत किशोर की नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया है लेकिन उन्हें पता है कि कैप्घ्टन इस पर कदम पीछे नहीं करेंगे। पीके (प्रशांत किशोर) हमेशा ही व्यक्ति विशेष को ब्रैंड के रूप में उभारते है। फिर चाहे 2014 में नरेंद्र मोदी हो या 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह या फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार। इन सभी को पीके ने ब्रैंड बनाकर पेश किया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पीके की रणनीति का सबसे बड़ा हिस्सा ही वन-टू-वन चुनाव मुकाबला करना है। 2017 में पीके ने कैप्टन को एक मार्डनाइज व कुशल प्रशासक के रूप में पेश किया था। शिरोमणि अकाली दल बेअदबी कांड में घिरी हुई थी, जिस कारण उन्होंने सामने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को पूरे कंपेन के दौरान कमतर ही आंका गया। इसका परिणाम भी अच्छा रहा। कांग्रेस पहली बार 77 सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही।