Tuesday, May 7, 2024
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किसान आंदोलन से जाट वोट बैंक में हुए डैमेज कंट्रोल को ठीक करने में जुटी भाजपा, 40 लोकसभा क्षेत्र का चुनाव कर डोर टू डोर कैंपेन करेगी

नई दिल्ली……..

कृषि कानून और किसान आंदोलन से बीजेपी को हुए डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी ने कमर कस ली है। बीजेपी ने उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के जाट बहुल 40 लोकसभा क्षेत्र के लिए डैमेज कंट्रोल प्लान बनाया है। 16 फरवरी को पार्टी मुख्यालय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में हुई बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संजीव बाल्यान सहित यूपी, हरियाणा और राजस्थान के 10 बीजेपी सांसद, 14 विधायक और 40 से ज्यादा बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार बैठक में सबसे किसान आंदोलन से जाट बहुत इलाकों में उपजे हालात पर चर्चा की गई। पार्टी को लगता है कि आंदोलन से जाट इलाकों में थोड़ा नुकसान पहुंचा है। पिछले दिनों में इन जाट बहुल इलाकों में बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ी थी, लेकिन किसान आंदोलन से पार्टी को झटका लगा है। सूत्रों के मूताबिक, शाह ने बैठक में कहा कि ये आंदोलन राजनीतिक है और कम्युनिस्ट प्रेरित है। जो हमारी विचारधारा को समाप्त करना चाहते हैं। आंदोलन का किसानों से कोई मतलब नहीं है। शाह ने कहा कि इस सच्चाई को जाट समाज को बतानी होगी।इसकारण पार्टी ने इन इलाकों के 40 लोकसभा क्षेत्र का चुनाव किया है जहां पार्टी आने वाले वक्त में बड़ा फोकस करने वाली है।

सूत्रों के मूताबिक गृहमंत्री शाह ने बैठक में शामिल नेताओं को कहा है कि इन 40 लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी डोर टू डोर कैंपेन, संपर्क और सभाएं कर कृषि कानून को लेकर पैदा हो रहे भ्रम को खत्म करे। पार्टी नेताओं को बताया गया कि लोगों तक कृषि कानून के फायदे को पहुंचा जाए। तय हुआ है कि अगले 15-20 दिन सभी को खापों, किसानों और समाज के बीच में रहना है। सभी आंदोलनकारियों का जन समर्थन ख़त्म करना है। सूत्रों की माने तो बैठक में ये भी तय किया गया कि है उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के खाप पंचायत से भी पार्टी संपर्क साधे और कृषि कानून के फायदे को गिनवाएं। इसके अलावा बैठक में ये भी तय हुआ है कि किसानों और लोगों के मन को भी इस कानून को लेकर टटोले जाएं। लोगों से कानून को लेकर फीडबैक लिया जाए, सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है जो बेनतीजा रही है। सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछली बातचीत 22 जनवरी को हुई थी।

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