कोरोना की मार से बेहाल ऑटोमोबाइल सेक्टर
नई दिल्ली……
आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों में सुधार के बावजूद देश का वाहन उद्योग अब भी मंदी के दौर से गुजर रहा है। इस क्षेत्र को रफ्तार पकडने में लंबा समय लगेगा। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के एक शोध में कहा गया है कि भारत में वाहन उद्योग एक दीर्घकालिक संरचनात्मक मंदी से गुजर रहा है क्योंकि सभी प्रमुख वाहन श्रेणियों में पिछले तीन दशक के दौरान चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) में गिरावट देखी गई है। इसमें आगे कहा गया है कि वाहन उद्योग कोविड-19 संकट से पहले ही मुश्किल हालात से गुजर रहा था और पिछले साल महामारी ने पूरे क्षेत्र को ही पटरी से उतार दिया। इसलिए महामारी ही वाहन क्षेत्र की मंदी का एकमात्र कारण नहीं है बल्कि इसे गहन संरचनात्मक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। 2019-20 के दौरान कुल 27.7 लाख यात्री वाहन बिके, जो चार साल का निचला स्तर है।
शोध के मुताबिक, पिछले तीन दशकों के दौरान यात्री वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों, तिपहिया और दोपहिया वाहनों सहित सभी श्रेणियों की सालाना वृद्धि दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। घरेलू यात्री वाहन उद्योग की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 1989-90 और 1999-2000 के दौरान 12.6 फीसदी रही थी। हालांकि, यह आंकड़ा 1999-2000 और 2009-10 के दशक के बीच घटकर 10.3 फीसदी रह गया। आखिरी दशक में वृद्धि दर और कम होकर 3.6 फीसदी रह गई। वहीं, पिछले पांच साल के दौरान हालात और खराब हुए हैं। 2004-05 से 2009-10 के दौरान घरेलू यात्री वाहन उद्योग का सीएजीआर 12.9 फीसदी था, जो 2009-10 से 2014-15 के बीच घटकर 5.9 फीसदी पर आ गया। 2014-15 और 2019-20 के बीच यह और कम होकर महज 1.3 फीसदी रह गया।