बंगाल में भाजपा का खेल बिगाड़ने चुनाव मैदान में उतर रही शिवसेना
कोलकाता……..
असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के बाद शिवसेना ने भी बंगाल चुनाव में उतरने की घोषणा के बाद बंगाल की राजनीति में एक बार फिर खलबली मच गई है। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि हिंदूवादी छवि के कारण शिवसेना बंगाल में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं बीजेपी का कहना है कि राज्य में शिवसेना की मौजूदगी न के बराबर है, इसकारण उन्हें कोई चिंता नहीं है। सवाल है कि एनडीए की पूर्व सहयोगी की बंगाल चुनाव में आने से क्या वाकया बंगाल की राजनीति के समीकरण बदलेगी, यहां फिर ठीक पहले चुनाव में उतरने का दांव खुद शिवसेना के लिए ही उलटा न पड़ जाए।
दरअसल रविवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ट्वीट कर धोषणा की, कि पार्टी चीफ और प्रदेश के सीएम उद्धव ठाकरे के साथ चर्चा के बाद, शिवसेना ने बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि श्हम जल्द ही कोलकाता पहुंच रहे हैं।श् शिवसेना कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन कहा जा रहा है कि बंगाल की 294 सीटों में से शिवसेना कम से कम 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है।
शिवसेना के बंगाल चुनाव में आने की काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। शिवसेना ने खुद ही बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के बाद बंगाल का रुख करने का संकेत दिया था। शिवसेना का बयान इसकारण भी मायने रखता है कि क्योंकि एनडीए से अलग होने के बाद वह बंगाल चुनाव में उतरने जा रही है। वहीं दूसरी ओर शिवसेना महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार चला रही है।वहीं कांग्रेस बंगाल में सीपीआई (एम) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही है और दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर समझौता होना बाकी है।
2019 और 2016 में क्या हुआ था शिवसेना का हाल?
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब शिवसेना बंगाल में चुनाव लड़ने जा रही है। इससे पहले पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव और 2016 विधानसभा चुनाव में भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। 2019 लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने 15 सीटों- तमलुक, कोंटई, मिदनापुर, उत्तर कोलकाता, पुरुलिया, बैरकपुर, बांकुरा, बारासात, बिश्नुपुर, उत्तर मालदा, जादवपुर वगैरह पर चुनाव लड़ा था। 2016 चुनाव में शिवसेना ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन किसी में भी जीत दर्ज नहीं कर सकी।