पंचायत चुनाव को लेकर पूर्व सीएम अखिलेश और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर
लखनऊ ———
पंचायत चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा के एक नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सवाल कर पूछा हैं कि उनके कार्यकाल में पंचायतों पर प्रशासक नियुक्त करने का क्या कारण था। दरसअल एक दिन पहले अखिलेश ने ग्राम पंचायतें भंग करने पर सवाल उठाए थे।इसके जबाव में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष, विधान परिषद सदस्य और पंचायत चुनाव के प्रदेश प्रभारी विजय बहादुर पाठक ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश से सवाल किया, आपके समय में पंचायतों पर प्रशासक क्यों नियुक्त हुए थे। पाठक ने यादव के ट्वीट को टैग करते हुए ट्वीट किया, आपके समय क्यों पंचायतों पर प्रशासक नियुक्त हुए थे, क्यों आपने अपने को अक्षम माना था, याद आ जाए तब सार्वजनिक कर दें।
दरसअल अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था, उप्र में भाजपा सरकार ने बिना नए चुनाव कराएं ग्राम पंचायतें भंग कर दी हैं। बड़े-बड़े चुनाव हो रहे हैं, लेकिन लोकतंत्र में जन प्रतिनिधित्व की सबसे छोटी इकाई के चुनावों के लिए सरकार अपने को अक्षम बता रही है, ऐसी सरकार उत्तर प्रदेश क्या चलाएगी। भाजपा लोकतंत्र की बुनियाद पर चोट न करे। पाठक ने अपने ट्वीट में उत्तर प्रदेश शासन का नवंबर 2015 का एक आदेश भी जोड़ा जिसमें पंचायती राज विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव चंचल कुमार की ओर से प्रदेश के सभी विकास खंडों में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को प्रशासक नियुक्त करते हुए ग्राम पंचायतों के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उल्लेखनीय है कि तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे और तब भी पंचायत चुनाव देर से हुआ था। इस बार 25 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके पहले 23 दिसंबर को ही यूपी की निदेशक, पंचायती राज किंजल सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया था कि 25 दिसंबर के बाद से ग्राम प्रधानों के खाता संचालन पर रोक लगा दी जाए।
इसके लिए सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को अपने विकास खंड के सभी ग्राम प्रधानों के खाता संचालन पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। प्रदेश में करीब 58 हजार ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधानों के पद खाली हो गये हैं और पिछले शनिवार से गांवों के विकास की जिम्मेदारी सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को मिल गई है। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा कि इस बार कोविड-19 के प्रकोप के चलते चुनाव में देरी हुई लेकिन अब सरकार छह माह के भीतर चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है और उसकी तैयारी चल रही है।