Sunday, May 19, 2024
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राष्ट्रीय पटल पर आर्य समाज की खुशबू फैलनी चाहिएः प्रो. शास्त्री


हरिद्वार………

गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) में स्वामी श्रद्धानन्द महाराज जी का 94वां बलिदान दिवस का आयोजन दयानन्द स्टेडियम में किया गया। बलिदान दिवस के उपलक्ष्य पर सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के दयानन्द स्टेडियम में यज्ञ का आयोजन किया गया। उसके उपरान्त श्रद्धानन्द सभा की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि राष्ट्रीय पटल पर आर्य समाज की खुशबू फैलनी चाहिए। स्वामी श्रद्धानन्द महाराज जी ने गुरुकुल जैसे पौधों को लगाकर देश और समाज को एक नई दिशा दी थी। आज विश्वविद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी को इस पौधों को पल्लवित और पोषित करने के लिए अपना अथक योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रीय औषधीय पादक बोर्ड के सीईओ जेएलएन शास्त्री ने कहा कि कोविड-19 के चलते देश दुनिया में भारतीय वनस्पतियों के औषधीय गुणों को स्वीकार कर जहां स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है वहीं विश्व पटल पर भारतीय वनस्पति व आयुर्वेदिक औषधियों को मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जायेंगे, जिसका व्यय बोर्ड द्वारा किया जाएगा। उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुनील जोशी ने कहा कि कोविड-19 के चलते जहां विश्व के अन्य देशों में मृत्यु दर बहुत अधिक रही है वहीं हमारे देश में अभी तक इस बीमारी से लगभग 01 लाख 50 हजार लोग इस बीमारी के चलते लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय व गुरुकुल आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए औषधीय वाटिकाओं का निर्माण किया जाएगा, जिसमें प्रदेश व देश की विभिन्न दुर्लभ वनस्पतियों को संरक्षित किया जाएगा। दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के सदस्य सतीश चड्ढ़ा ने कहा कि स्वामी जी मैकाले शिक्षा के विरोधा में वैदिक संस्कृति को पल्लवित करने का काम किया है। स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल को स्थापित करने के लिए अपनी जमीन, घर त्याग दिया था, जिसके चलते गुरुकुल की पहचान यूरोपीय देशों तक पहुंची। आज गुरुकुल जिन ऊँचाईयों तक पहुंचा है उसमें सबसे अधिक योगदान सभी आर्यों का है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. दिनेशचन्द्र भट्ट ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द महाराज जी ने अपनी वसीयत को लिखने से पूर्व अपने पुत्रें से यह मांग की थी कि आपको गुरुकुल की सदैव रक्षा करनी है। इस कार्य को स्वामी जी के बलिदान होने के बाद उनके बड़े पुत्र इन्द्र वाचस्पति ने पूर्ण निष्ठा के साथ गुरुकुल का प्रचार-प्रसार किया। परीक्षा नियंत्रक प्रो. एमआर वर्मा ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आर्य समाज को स्थापित करने का कार्य स्वामी दयानन्द के बाद स्वामी श्रद्धानन्द महाराज ने किया है। उन्होंने जीवन में सत्य को धाारण कर असत्य का परित्याग किया है। हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए सबसे ज्यादा काम स्वामी श्रद्धानन्द महाराज द्वारा किया गया है। आर्य बनाने की परम्परा ने उनका योगदान स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है। भेषज्ञ विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. सतेन्द्र राजपूत ने कहा कि आज राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेएलएन शास्त्री ने फीता काटकर औषधीय पादप वाटिका का उद्घाटन किया। इस वाटिका में औषधाीय, धाार्मिक और अन्य पौधों रोपित किए गए हैं। वर्तमान में वाटिका में एक हजार पौधे रोपित हुए हैं। इस अवसर पर कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री, डा. सुनील जोशी, जेएलएन शास्त्री, कुलसचिव प्रो. दिनेश चन्द्र भट्ट ने भी वनस्पतीय पौधों को रोपित किया। गुरुकुल आर्य समाज एवं आर्य समाज के अध्यक्ष प्रो. सत्यदेव निगमालंकार ने 1100-1100 भजन उपदेशिका मिथिलेश आर्य को प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान किए। डा. सुनील जोशी ने उपस्थित आगन्तुकों के लिए आयुर्वेदिक आरोग्य कीट उपलब्धा कराई। इस अवसर पर प्रो. जयदेव वेदालंकार, प्रो. श्रवण कुमार शर्मा, प्रो. सोमदेव शतांशु, प्रो. मनुदेव बन्धु, प्रो. पंकज मदान, प्रो. वीके सिंह, प्रो. ब्रह्मदेव, प्रो. सत्यदेव निगमालंकार, प्रो. पीपी पाठक, प्रो. आरसी दुबे, प्रो. नवनीत, प्रो. एसके श्रीवास्तव, प्रो. प्रभात सेंगर, प्रो. एलपी पुरोहित, प्रो. दिनेशचन्द्र शास्त्री, प्रो. राकेश शर्मा, संयुक्त कुलसचिव देवेन्द्र कुमार, डा. मयंक अग्रवाल, डा. नमिता जोशी, डा. संगीता विद्यालंकार, डा. सुचित्र मलिक, डा. मृदुला जोशी, प्रो. आरकेएस डागर, डा. शिव कुमार चैहान, डा. पंकज कौशिक, रमेश चन्द, अमित धाीमान, चन्द्रप्रकाश, प्रमोद कुमार आदि द्वारा किया गया। (फोटो-02)

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