एपीएमसी कानून पर हंगामा बरकरार, बदलता रहा है पार्टियों का रुख
नई दिल्ली ——–
केंद्र सरकार के नए तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन को तीन हफ्ते हो गए हैं लेकिन किसान-सरकार के बीच गतिरोध बरकरार हौ और कोई बात नहीं बन रही है। किसान कानून वापसी पर अड़े हैं, तो सरकार संशोधन पर अड़ी है। मोदी सरकार लगातार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है और विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने हालिया बयान में कहा कि जो कानून आज उनकी सरकार लाई है, वही कानून विपक्ष जब सत्ता में था तो लाना चाहता था। अगर विपक्षी पार्टियों के रुख की बात करें तो कांग्रेस अब इस कानून के विरोध में खड़ी है। राहुल गांधी ने सबसे पहले ट्रैक्टर रैली निकालकर कानून का विरोध किया, लगातार सोशल मीडिया पर वो सरकार को घेर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के 2019 चुनाव के मेनिफेस्टो में एपीएमसी एक्ट को ही खत्म करने की बात कही गई, साथ ही खेती को बंधनों से मुक्त करने का वादा किया गया।
सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने एपीएमसी एक्ट में बदलाव की बात कही थी। हालांकि, कांग्रेस ने तब भी एमएसपी पर सख्त रुख ही अपनाया था। कांग्रेस आज नए कानूनों का विरोध कर रही है, लेकिन महाराष्ट्र में उसके साथ सरकार चला रहे शरद पवार ने ही सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख एपीएमसी एक्ट में बदलाव की अपील की थी। किसान दिल्ली की सड़कों को घेर कर आंदोलन कर रहे हैं और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया है। स्टेडियम को जेल बनाने की इजाजत ना देना, भारत बंद, उपवास का समर्थन करना। केजरीवाल कह रहे हैं कि तीनों कानून वापस होने चाहिए। हालांकि, पंजाब चुनाव में जब आप ने अपना मेनिफेस्टो जारी किया था, तब एपीएमसी एक्ट में बदलाव की बात कही थी ताकि किसान मंडी से बाहर फसल बेच सके। साथ ही खेती में प्राइवेट प्लेयर को लाने की बात कही थी।
राजनीतिक दलों से इतर संसद की एक कमेटी जिसमें करीब हर पार्टी के सांसद शामिल थे, उसमें ये बात सामने रखी गई थी कि मौजूदा एपीएमसी एक्ट में कुछ हदतक बदलाव की जरूरत है, ताकि किसानों को कमाई के अन्य तरीकों से रुबरु कराया जाए। सिर्फ विपक्षी दलों ही नहीं बल्कि बीजेपी का रुख भी लगातार बदलता रहा है। 2011 में पीएम मोदी जब कंज्युमर अफेयर्स से जुड़े एक ग्रुप के प्रमुख थे, तब उन्होंने एमएसपी को पहले ही घोषित करने का पक्ष रखा था। गौरतलब है कि कृषि कानून को लेकर अब विपक्ष और सरकार में तलवारें खिंच चुकी हैं। किसानों की मांग है कि कृषि कानून वापस हो और विपक्ष भी उनकी हां में हां मिला रहा है। विपक्ष की ओर से किसान आंदोलन का समर्थन किया गया, भारत बंद में सड़कों पर उतरा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर कानून वापसी की अपील भी की गई।