पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
मुंबई ———
कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बीच देश में पेट्रोल के दामों में फिर आग लग गई है। लगातार दाम बढ़ते जा रहे हैं और अब सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए इस मसले को उठाया है और केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार की है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा कि कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार, प्रशासन के साथ-साथ जनता ने भी बराबरी की जिम्मेदारी निभाई, पेट्रोल-डीजल दर वृद्धि पर नियंत्रण सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी है।
शिवसेना ने लिखा है कि जिस किसान कानून को लेकर देश के कृषक वर्ग में आग लगी है, उस बारे में सरकार कुछ भी नहीं कहती है। उल्टे आंदोलन और आंदोलनरत किसानों पर कीचड़ उछालने का प्रयास चल रहा है। पेट्रोल-डीजल दर वृद्धि के संदर्भ में भी ‘सरकार कुछ कहती नहीं है और दर वृद्धि भी रुकती नहीं है’, ऐसा ही चल रहा है। इसलिए वहां किसान आंदोलन की ‘धार’ तेज हो रही है और यहां ईंधन वृद्धि की मार पड़ रही है। पहले ही बढ़ी हुई महंगाई में तेल डाला जा रहा है। दिल्ली में किसान आंदोलन का दावानल भड़क उठा है। देश में ईंधन दर वृद्धि की ‘आग तेज’ हो गई है। इस ‘दावानल’ और ‘आग’ को समय रहते शांत करना केंद्र सरकार के ही हित में है। सिर्फ इसका एहसास उन्हें होगा क्या? यह वास्तविक सवाल है।
सामना में कहा गया है कि हमारे देश में ईंधन की दरों में वृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में होने वाली वृद्धि केवल निमित्त होती है। फिलहाल यह भाव बढ़ा है, ठीक है लेकिन जून में लॉकडाउन काल के दौरान सब कुछ स्थिर रहने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की दरों ने 90 का आंकड़ा पार किया था। अब तो सरकार वैश्विक दर वृद्धि की ढाल आगे करके इन दर वृद्धि के मामलों में हाथ ऊपर करेगी, यह स्पष्ट है। शिवसेना ने कहा कि सरकारी आय के मुख्य स्रोत के रूप में ईंधन की दर ऊंची ही रखी जाए, यह कोई लोक कल्याणकारी काम-काज के लक्षण नहीं हैं। लोगों की जेब खाली करके सरकारी तिजोरी भरनी है, यही अर्थनीति विगत कुछ वर्षों से चल रही है, इसलिए ईंधन दर वृद्धि का बेलगाम घोड़ा सरपट दौड़ रहा है।