Saturday, May 18, 2024
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एथेनॉल को अतिरिक्त चीनी दिए जाने से गन्ना किसानों की बढ़ेगी आय

नई दिल्ली
सामान्य चीनी सीजन में 320 एलएमटी चीनी का उत्पादन होता है जबकि घरेलू खपत 260 एलएमटी है। इस तरह 60 एलएमटी चीनी बची रह जाती है और इसकी बिक्री नहीं हो पाती। इससे 19,000 करोड़ रुपये की राशि प्रत्येक वर्ष चीनी मिलों के लिए रूकी पड़ी रह जाती है। चीनी मिलों की तरलता स्थिति पर प्रभाव पड़ता है और किसानों के गन्ने की बकाया राशि एकत्रित होती जाती है। जरूरत से अधिक चीनी भंडार से निपटने के लिए सरकार द्वारा चीनी मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार वित्तीय सहायता दे रही है। लेकिन भारत विकासशील देश होने के नाते चीनी के निर्यात विपणन और परिवहन के लिए डब्ल्यूटीओ व्यवस्थाओं के अनुसार केवल 2023 तक ही वित्तीय सहायता दे सकता है। इसलिए चीनी की अधिकता से निपटने और चीनी उद्योगों की स्थिति में सुधार तथा गन्ना किसानों को समय पर बकाये का भुगतान करने के लिए सरकार जरूरत से अधिक गन्ना और चीनी एथेनॉल को देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को सप्लाई की जा सके। इससे न केवल कच्चे तेल की आयात निर्भरता कम होती है बल्कि ईंधन के रूप में एथेनॉल को प्रोत्साहन मिलता है।
यह स्वदेशी है और प्रदूषणकारी नहीं है। इससे गन्ना किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इससे पहले सरकार ने 2022 तक ईंधन ग्रेड के एथेनॉल को 10 प्रतिशत पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य तय किया था। 2030 तक 20 प्रतिशत ईंधन ग्रेड एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अब सरकार 20 प्रतिशत के मिश्रण लक्ष्य समय से पहले प्राप्त करने की योजना तैयार कर रही है। लेकिन देश में वर्तमान एथेनॉल डिस्टिल क्षमता एथेनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे मिश्रण लक्ष्य हासिल नहीं होता सरकार चीनी मिलोंध्डिस्टिलरियों को नई डिस्टिलरी स्थापित करने और वर्तमान डिस्टिलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार चीनी मिलों और डिस्टिलरियों द्वारा बैंक से ऋण लेने के मामले में अधिकतम 6 प्रतिशत की ब्याज दर पर पांच वर्षों के लिए ऋण सहायता दे रही है, ताकि चीनी मिलें और डिस्टिलरी अपनी परियोजनाएं स्थापित कर सकें। पिछले दो वर्षों में 70 ऐसी एथेनॉल परियोजनाओं (शीरा आधारित डिस्टिलरी) के लिए 3600 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य क्षमता बढ़ाकर 195 करोड़ लीटर करना है।

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