Friday, May 3, 2024
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अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आंतरिक निगरानी तंत्र बनाने एनजीटी ने सैन्य बलों को सीपीसीबी संग बैठक करने को कहा

नई दिल्ली

अपशिष्ट प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सशस्त्र बलों को वैज्ञानिक तरीके से इसके लिए एक आंतरिक निगरानी तंत्र बनाने के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ बैठक करने को कहा है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सशस्त्र बलों में हो सकता है कि कुछ प्रतिष्ठानों को पारिस्थितिक मुद्दों की जरूरी जानकारी नहीं हो और पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। पीठ ने कहा, ‘विभिन्न स्तरों पर संबंधित अधिकारी भी पर्यावरण संबंधी मुद्दों तथा चुनौतियों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।’ वायु सेना द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अधिकरण ने यह आदेश दिया। इस रिपोर्ट में बताया गया कि हरित नियम लागू किए गए हैं और पर्यावरण अनुकूल प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है।
आदेश में कहा गया कि सेना की रिपोर्ट में सियाचिन हिमनद के पारिस्थितिकीय मुद्दे का संदर्भ दिया गया है, इसलिए सैनिकों को जागरूक करने, अपशिष्ट घटाने और इसके निपटान के तरीकों की पहचान करें। स्थिति रिपोर्ट में कहा गया, ‘दो कार्यबल गठित किए गए हैं और अपशिष्ट घटाने तथा विभिन्न स्थानों पर वैज्ञानिक तरीके से अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है।’ सेवानिवृत्त एअर मार्शल और उत्तरप्रदेश ठोस अपशिष्ट प्रबंधन निगरानी समिति में भी काम कर चुके याचिकाकर्ता अनिल चोपड़ा के मुताबिक सैन्य साजो-सामान, घरेलू, औद्योगिक, जैविक, अस्पताल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से पैदा होने वाले अपशिष्ट का जनहित में और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक तरीके से निपटान होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि रेगिस्तान और समुद्री क्षेत्रों में भी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं, जिसके लिए उचित स्तर पर निगरानी होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने तीन रिपोर्ट- सैन्य बलों द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण मुद्दे, सियाचिन हिमनद के पारिस्थितिकीय मुद्दे तथा छावनी और सैन्य केंद्रों का संदर्भ दिया।

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