मुख्यमंत्री अमरिंदर के धरने को विरोधियों ने ड्रामा और फोटो खिंचवाने का मौका करार दिया
नई दिल्ली
कृषि कानूनों के मुद्दों पर बातचीत के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया। जिसके बाद उन्होंने जंतर-मंतर पर धरना दिया। अब आप सोच रहे हैं कि जब पंजाब विधानसभा में कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने वाला विधेयक पारित हो गया है,तब फिर अमरिंदर सिंह ऐसा क्यों कर रहे हैं। दरअसल, धरना प्रदर्शन से पहले अमरिंदर सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है।अपने अधिकारों का प्रयोग कर नए कृषि कानून बनाए लेकिन यह बिल अभी राज्यपाल के पास पड़े हैं।हमारे द्वारा 20 अक्टूबर को उन्हें बिल दे दिया था लेकिन उन्होंने अभी तक इस राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा है। मैं राष्ट्रपति से मिलकर इसके बारे में अवगत कराना चाहता था। उम्मीद करता हूं कि राष्ट्रपति इस बिल को स्वीकार करें।
अमरिंदर पहले राजघाट पर धरना प्रदर्शन करने वाले थे, लेकिन फिर उन्होंने प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर का चुनाव किया। वहीं, दूसरी तरफ पंजाब की विपक्षी पार्टियों, शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के क्रमित ‘धरने’ का नेतृत्व करने के फैसले को ड्रामा और फोटो खिंचवाने का मौका करार दिया। शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि वे दिल्ली में क्रमिक ‘धरने’ में शामिल न हों, बल्कि केंद्र के कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर राजघाट पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करें। इस बीच शिअद प्रमुख ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या वह वास्तव में विरोध को लेकर गंभीर हैं या केवल दिखावा कर रहे हैं।