छाछ (मट्ठा) पीने के विशेष लाभ
छाछ (मट्ठा): स्वास्थ्य के लिए वरदान
छाछ बनाने की विधि – अच्छी प्रकार से दूध को गर्म करने के बाद ,जिस समय दूध की गर्मी कम हो जाए, दूध में जामन डालकर उसको दही बनाने के लिए ढककर रख देना चाहिए। प्रातः काल उसमें चैथाई भाग पानी मिलाकर मथानी से उसको अच्छी प्रकार मथकर उसका मक्खन निकाल ले। इस प्रकार से तैयार की हुई छाछ रूचिकर,सुपाच्य,मल-मुत्र को साफ करने वाली तथा अन्य द्रव्यों को भी पचाने वाली होती है। इसी कारण इसका प्रयोग अतिसार, संग्रहणी,अर्श,नलाश्रित वायु,पीलिया,उदरशूल,मूत्रकष्ट, हैजा,मुत्राघात, अश्मरी तथा गुल्म आदि विकारों में किया जाता है।
गुण- 1. शीतकाल में तथा अग्निमांद्य,अरूचि,वातरोग,स्त्रोतोरोध आदि रोगो में सोंठ-पीपल के साथ लेने से यह अमृत के समान लाभ करती है। 2- यह विष- विकार का नाश करती है। 3- यह क्षुधावर्धक है। 4- यह नेत्र रोगनाशक है। 5– रक्त एंव मांस की वृद्वि करती है। 6- आंव व कफ-वात नाशक है। 7- नेत्र रोगो में लाभप्रद है। 8- ज्वर रोग नाशक है। 9- छर्दि, लालस्त्राव,अतिसार,शूल, तिल्ली, उदर व अरूचि को दूर करती है। 10- श्वित्र (कुष्ठ) रोग, कोष्ठगत रोग व सूजन में लाभदायक है।
रोगानुसार छाछ (मट्ठा) का प्रयोग – (1) वात विकार में सैधा नमक के साथ प्रयोग करें। 2- पित्त विकार में शक्कर मिलाकर प्रयोग करें। 3- कफ विकार में सोंठ,सैधव नमक,काली मिर्च व पीपल – ये सभी मिलाकर लेना चाहिए। 4- मूत्रकृच्छ्र में गुड़ के साथ प्रयोग करें। 5- पाण्डू रोग में चित्रक चूर्ण के साथ लें।
6- उदर विकार में –
(अ) वातोदर में पीपल व सैधव नमक के साथ दें।
(ब) पित्तोदर में शक्कर तथा काली मिर्च मिलाकर दें।
(स) कफोदर में अजवायन, सैधव नमक, जीरा,सौंठ, पीपल व काली मिर्च के साथ दे।
(द) सन्निपातोदर में सोंठ, काली मिर्च, पीपल और सैंधव नमक मिलाकर सेवन कराएं।
(य) बद्धोदा में हाउबेर, अजवायन, जीरा और सैंधव नमक मिलाकर दें।
(र) ग्रहणी रोग में विशेष रूप् से छाछ (मट्ठा) का सेवन करना चाहिए। अन्न का पूर्णतया परित्याग कर दे। केवल मट्ठे पर ही रहे। मट्ठे में हल्का-सा सफेद जीरा भुनकर मिला देने से यह अत्यन्त लाभकारी हो जाता है।