2 करोड़ रुपए तक के लोन पर कम्पाउंड इंटरेस्ट से छूट देगी
नई दिल्ली
बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए 40 फीसदी से अधिक लोन और 75 फीसदी कर्जदार कम्पाउंड इंटरेस्ट यानी ब्याज-पर-ब्याज से राहत देने के निर्णय से लाभान्वित होगा। वहीं सरकारी खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। रिपोर्ट में कहा गया है। मोदी सरकार ने पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि वह 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर कम्पाउंड इंटरेस्ट से छूट देगी। इसके तहत बैंकों को कम्पाउंड इंटरेस्ट और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि उपलब्ध होगी। यह सुविधा सभी कर्जदारों को मिलेगी। भले ही उसने किस्त भुगतान को लेकर दी गई मोहलत का लाभ उठाया हो या नहीं लेकिन इसके लिए शर्त है कि कर्ज की किस्त का भुगतान फरवरी के अंत तक होता रहा हो यानी संबंधित लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) नहीं हो।
एक रिपोर्ट में कहा, इस प्रकार के कर्ज संस्थागत व्यवस्था (बैंक, वित्तीय संस्थान) द्वारा दिए गए कर्ज का 40 प्रतिशत है। इससे 75 प्रतिशत कर्जदारों को लाभ होगा। जबकि सरकार के खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि अगर यह राहत केवल उन्हीं को दी जाती, जिन्होंने कोविड-19 के कारण रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत का लाभ उठाया,तब सरकारी खजाने पर बोझ आधा ही पड़ता। सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खाते में राशि डालने को को कहा है। यह राशि छूट अवधि छह महीने के दौरान संचयी ब्याज और साधारण ब्याज का अंतर के बराबर होगी। रिपोर्ट के अनुसार अगर 2 करोड़ रुपए तक कर्ज लेने वाले पात्र कर्जदारों को ब्याज-पर-ब्याज समेत पूरी तरह से ब्याज पर छूट दी जाती तो सरकारी खजाने पर बोझ 1.5 लाख करोड़ रुपए पड़ता। इससे सरकार के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र के लिए वित्तीय मोर्चे पर समस्या होती। छूट योजना के दायरे में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम), शिक्षा, होम, उपभोक्ता टिकाऊ, क्रेडिट कार्ड, वाहन, पर्सनल लोन, पेशेवेर और उपभोग लोन को शामिल किया गया है।