Saturday, May 18, 2024
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आम आदमी की बढ़ी मुश्किलें, सब्जियों के बाद महंगी हुई दालें

नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों से अरहर दाल की कीमतों में तेजी जारी हैं, इसके दाम घटने की उम्मीद कम है। थोक बाजार में कीमतें 100 रुपए किलो के पार पहुंच चुकी हैं। पिछले कुछ माह में इसकी कीमतों में 20 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है। उद्योग जगत ने मांग की है कि सरकारी एजैंसी नैशनल एग्रीकल्चरल कोऑप्रेटिव मार्कीटिंग फैडरेशन (नैफेड) को आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करना चाहिए। कम आपूर्ति के मुकाबले मांग मजबूत बनी हुई है इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है। हालांकि सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीक है और अगले तीन माह में खरीफ की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी जिससे दाम में राहत मिल सकती है।
वहीं कृषि आयुक्त का कहना है कि उम्मीद है कि खरीफ सीजन में दालों का कुल उत्पादन 93 लाख टन होगा। अरहर का उत्पादन पिछले साल के 38.3 लाख टन के मुकाबले इस साल बढ़कर 40 लाख टन होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नई फसल नहीं आएगी, तब तक कीमतें मजबूत बने रहने की आशंका है। दलहन आयातकों ने 2020-21 के लिए अरहर के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है। सरकार ने अप्रैल में 4 लाख टन अरहर के आयात कोटा की घोषणा की थी,इस अभी तक आवंटित नहीं किया गया है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बाद इस त्यौहार महंगी अरहर खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाऊन अवधि में अरहर की कीमत 90 रुपए प्रति किलो के स्तर तक के ऊंचे भाव पहुंच गईं और बाद में दाम घटकर 82 रुपए प्रति किलो रह गया था। हालांकि अब दाम फिर से बढने लगे हैं। कारोबारियों को डर है कि कर्नाटक में अरहर की फसल को ज्यादा बारिश से नुकसान होगा। पैदावार 10 प्रतिशत तक घट सकती है।

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