बिजली सुधार बिल वापस लेने की किसानों की नई मांग से मुश्किल में पड़ी केंद्र सरकार
नई दिल्ली —–
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में आंदोलनरत किसानों ने सरकार के सामने एक और मांग रख दी है। अब किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार बिजली सुधार बिल को भी वापस ले, जबकि पहले किसान संगठन इस बिल में जरूरी बदलाव किए जाने पर सहमत थे। अभी तक बिजली सुधार बिल बहुत बड़ा मुद्दा नहीं था, क्योंकि केंद्र सरकार इसमें बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अब इस बिल को वापस लेने की मांग गतिरोध खत्म करने की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती है।
40 किसान संगठनों की ओर से सरकार से सातवें दौर की बातचीत के न्यौते को स्वीकार करने लिए लिखी गई चिट्ठी में बिजली बिल को लेकर उनका रुख एक श्गलतीश् की वजह से था। किसानों की इस नई मांग से कृषि मंत्रालय के अधिकारी हैरान हैं। उनका मानना है कि इस नई मांग से गतिरोध का समाधान ढूंढना और मुश्किल हो जाएगा। अगर आज की वार्ता से गतिरोध खत्म करने में कोई मदद नहीं मिलती तो केंद्र सरकार और किसान संगठन अब स्थिति को जस का तस छोड़ने की तैयारी में हैं। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें बातचीत की रणनीति से अवगत कराया।
अब तक किसान संगठनों और सरकार के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है। इसमें 8 दिसंबर को हुई वह वार्ता भी शामिल है, जिसमें खुद गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को चिट्ठी लिख बातचीत बहाल करने का न्यौता दिया था। कृषि मंत्रालय की ओर से लिखी इस चिट्ठी में कहा गया था कि सरकार किसानों के हर मुद्दे का तार्किक समाधान खोजने को प्रतिबद्ध है। इसके जवाब में मंगलवार को किसानों ने लिखा कि यह बातचीत उनके द्वारा सुझाई 4 मांगों पर आधारित होनी चाहिए। इन चार एजेंडों में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना, अधिक से अधिक एमएसपी दिए जाने की कानूनी गारंटी, पराली जलाने के मामलों में जुर्माना दिए जाने के दायरे से किसानों को बाहर रखना और चैथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली सुधार बिल को वापस लेना शामिल है।
