अमेजॉन और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच फंसे फ्यूचर ग्रुप ने सेबी से मांगी मदद
मुंबई ——
ई-कॉमर्स कंपनी अमेजॉन और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता के बीच फंसे फ्यूचर ग्रुप को अब अपने भविष्य की चिंता सजा रही है। इसके लिए फ्यूचर ग्रुप ने बाजार नियामक सेबी को पत्र लिखकर रिलायंस रीटेल वेंचर्स लिमिटेड के साथ उसकी डील को जल्दी से जल्दी मंजूरी देने का अनुरोध किया है। किशोर बियाणी की कंपनी ने सेबी को लिखे पत्र में कहा है कि मामले में और देरी से न केवल फ्यूटर रीटेल और उसके लाखों छोटे निवेशकों को बल्कि दूसरी कंपनियों और उनके स्टेकहोल्डर्स तथा उनके निवेशकों को भी बहुत नुकसान होगा। दो महीने पहले अमेजॉन ने सेबी को पत्र लिखकर फ्यूचर-रिलायंस ट्रांजैक्शन की डील रोकने की मांग की थी। इस फ्यूचर रीटेल ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनी ने अमेजॉन को फ्यूचर-रिलायंस डील में हस्तक्षेप करने से रोकने की मांग थी। लेकिन कोर्ट ने खारिज कर कहा कि एजेंसियां कानून के हिसाब से फैसला करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा था कि रिलायंस रीटेल की फ्यूचर की कंपनियों को खरीदने की योजना वैध है।
रिलायंस रीटेल ने फ्यूचर ग्रुप के रीटेल कारोबार को खरीदने के लिए अगस्त में एक डील की थी। यह डील 25,000 करोड़ रुपये में हुई थी। अमेजॉन की फ्यूचर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी है। अमेजान ने डील का विरोध कर रेग्युलेटर्स को सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के अंतरिम ऑर्डर पर विचार करने का अनुरोध किया। सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर ने फाइनल ऑर्डर आने तक डील पर रोक लगा दी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर फ्यूटर रीटेल ने लिखा है कि आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट प्रमोटर कंपनी एफसीपीएल और ऐमजॉन के बीच है और न कि फ्यूचर रीटेल के साथ। समझौतों को प्रभावित करने से फॉरेन एक्सचेंज रुल्स का उल्लंघन होगा। कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया पहले ही इस डील को मंजूरी दे चुकी है। लेकिन इसे सेबी और एनसीएलटी से भी मंजूरी की जरूरत है। साथ ही क्रेडिटर्स और माइनोरिटी स्टेकहोल्डर्स से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहिए।
