युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्ट करने की भावना विकसित करने की जरूरत पर वैज्ञानिक ने बल दिया
नई दिल्ली —-
विज्ञान से जुड़े नीति निर्माताओं ने युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्ट करने और वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने के लिए बहुत छोटी आयु से ही उनमें नवाचार की भावना विकसित किए जाने के महत्व पर बल दिया है। उन्होंने यह विचार दूरदर्शन समाचार पर एक चर्चा के दौरान व्यक्त किए। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा, “देश की प्रगति और भारत की प्रतिभा का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए बहुत छोटी आयु से ही युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्ट करना सबसे बड़ी चुनौती है।” इस चर्चा का आयोजन भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) के छठे संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन के बाद किया, जिसमें उन्होंने देश की प्रगति और विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के उपयोग पर बल दिया था। डॉ. मांडे ने कहा, “हमारे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्ध परम्परा है। इस क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं और आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, वहां तक पहुंचाने में इसने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कार्यक्रम-आधारित शिक्षण और अध्ययन को प्रोत्साहन दिया गया है, जिससे बच्चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति आकृष्ट करने तथा उनमें वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “बड़ी संख्या में लोगों को आकृष्ट करने तथा गांवों में बसे लोगों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में भाग लेने के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए हमें स्थानीय भाषाओं में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। डॉ. मांडे ने कहा, “हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और कोविड-19 इस बात का बड़ा उदाहरण है कि हमने चिकित्सा उपकरणों का निर्माण शुरु करने के लिए किस प्रकार अपने प्रयास बढ़ाए और यहां तक कि उनका निर्यात भी किया। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के स्वपन को साकार करने के लिए देश के वैज्ञानिकों के पास हर तरह का सामर्थ्य, प्रतिभा और कौशल मौजूद है।”
