Saturday, April 20, 2024
उत्तराखंड

प्रदेश की 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए तुरुप का इक्का बनेंगे कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन

Sandeep chauhan

देहरादून
खानपुर से भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन प्रदेश की 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए तुरुप का इक्का बनेंगे।प्रदेश में 14 विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता हैं और उत्तराखंड में भाजपा के अंदर कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन गुर्जरों के सर्वमान्य नेता हैं।
भाजपा चैंपियन को आगे करके गुर्जर मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में खड़ा कर सकती है। कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन खानपुर सीट से विधायक हैं।यह गुर्जर बाहुल्य सीट है।प्रणव सिंह लगातार चौथी बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि चैंपियन हर बार भाजपा से ही जीत कर आए हैं।सबसे पहले वे निर्दलीय चुनाव लड़ कर विधायक बने थे और उन्होंने भाजपा -कांग्रेस सहित सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को पटखनी दी थी।इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की।पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचे। एक बार निर्दलीय और तीन बार पार्टियों से के सिंबल पर चुनाव लड़ चुके चैंपियन की जीत से क्षेत्र में उनकी पकड़ का अनुमान लगाया जा सकता है।
खानपुर सीट पर करीब 15000 गुर्जर मतदाता हैं।उससे सटी लक्सर सीट पर भी करीब 8000 गुर्जर मतदाता हैं।भगवानपुर सीट पर भी इतनी संख्या में गुर्जरों के वोट हैं।ज्वालापुर सीट पर करीब 5000 मुस्लिम गुर्जर हैं।यहां पर यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि चैंपियन की स्वीकार्यता हिंदू गुर्जरों के साथ ही मुस्लिम गुर्जरों में भी बराबर है।हरिद्वार जिले की झबरेडा सीट पर 8000 गुर्जर मतदाता है।हरिद्वार ग्रामीण सीट पर हिंदू और मुस्लिम गुर्जरों को मिलाकर करीब 8000 वोट हैं।और तो और हरिद्वार शहर सीट पर भी क़रीब दो हज़ार गुर्जर मतदाता हैं।मंगलौर सीट पर करीब 8000,रुड़की शहर सीट पर 5000 मत गुर्जरों के हैं।हरिद्वार जिले के बाहर भी देहरादून, रामनगर,सहसपुर विकासनगर सीटों पर 1500 से लेकर 3000 तक गुर्जर मतदाता हैं।
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चैंपियन की आवाज पर एक हो सकते हैं गुर्जर
-उत्तराखंड में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की एक आवाज पर प्रदेश भर के गुर्जर एक मंच पर आ सकते हैं।भाजपा अगर चैंपियन को आगे करके चुनाव लड़ती है तो गुर्जर एकमुश्त भाजपा के पक्ष में वोट कर सकते हैं।जातीय समीकरण के लिहाज से चैंपियन भाजपा के लिए काफी मुफीद साबित हो सकते हैं।भाजपा के बड़े नेता भी इस बात को समझ रहे हैं।चैंपियन आजकल अस्वस्थ चल रहे हैं।पिछले कुछ दिनों में भाजपा के बड़े नेता उनसे मुलाकात करने आवास पर जा चुके हैं।
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कई सीटों पर मामूली रहता है हार जीत का अंतर
– पिछले चुनाव का इतिहास देखें तो प्रदेश की कई सीटों पर प्रत्याशियों के बीच हार जीत का अंतर मामूली रहता है।ऐसे में एक – एक वोट की कीमत होती है। प्रदेश में 14 विधानसभा सीटों पर गुर्जरों की संख्या डेढ़ हज़ार से लेकर 15000 तक है।ऐसे में जिस सीट पर गुर्जरों के केवल 1500 वोट हैं, वहां पर भी गुर्जरों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि कड़े मुकाबले में यही वोट भाजपा के लिए जीत की गारंटी बन सकते हैं।

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