700 मैट्रिक टन डीएपी उर्वरक बफर गोदाम में उपलब्ध
मथुरा।
जनपद में फास्फेटिक उर्वरकों की उपलब्धता पर बडा सवाल पैदा हो गया है। किसान संगठन, राजनीतिक पार्टियां लगातार डीएपी की अनउपलब्धता के मुद्दे को उठा रहे हैं। जनपद में डीएपी खाद किसानों को तय मूल्य से अधिक कीमत पर मिल रहा है। यहां तक कि प्रति 45 किलोग्राम के पैकेट पर 200 से 300 रूपये तक अधिक चुकाने पड रहे हैं। सहाकरी समितियों पर डीएपी मौजूद नहीं है। किसान खुले मार्केट से डीएपी खरीदने को मुजबूर हैं जहां उनका शोषण हो रहा है। भारतीय किसान यूनियन टिकैत, भाकियू अम्बावता, भाकियू भानू, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस आदि लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। सहकारी समितियों पर किसानों के हंगामे की भी खबर आ रही हैं। मंगलवार को एक सहकारी समिति पर पुलिस को हो हल्ला मचा रहे किसानों को खदेडना पडा था। बुधवार को भी इसी तरह के हालात बिने और गोवर्धन में किसानों ने सहकारी समिति पर हांगामा काटा। दूसरी ओर सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता रवीन्द्र कुमार का कहना है कि जनपद में फास्फेटिक उर्वरकों की उपलब्धता मांग के अनरूप पूरी है, किसी तरह की कोई कमी नहीं है। वर्तमान में जनपद में लगभग 700 मैट्रिक टन डीएपी उर्वरक बफर गोदाम में उपलब्ध है, जो सहकारी समितियों को लगातार भेजी जा रही है। एक दिन में पीसीएफ से लगभग 400 मैट्रिक टन डीएपी का प्रेषण सहकारी समितियों को कराया जा रहा है। गुरूवार को अक्टूबर को 3700 मैट्रिक टन फास्फेटिक उर्वरक (डीएपी एवं एनपीके) की रैक जनपद और मिल गई। इस प्रकार जनपद में फास्फेटिक उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।
जिन क्षेत्रों में सरसों एवं आलू की बुवाई चल रही है वहां डीएपी उर्वरक प्राथमिकता के आधार पर भेजी जा रही है। कृषकों को लिए वर्तमान में सरसों एवं आलू के लिए तथा आगामी दिनांे में गेंहूॅ की बुवाई के लिए उर्वरक आपूर्ति जनपद में बनी रहेगी। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को निर्धारित दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है।
किसानों की बजाय नेताओं को चाहिए खाद
वहीं इस तरह की बातें भी सामने आ रही हैं कि किसानों की बजाय नेताओं को खाद चाहिए। वह भी नियमानुशार नही। सहकारी समितियों पर किसान हो हल्ला नहीं मचा रहे हैं। जिन लोगों को सिस्टम में विश्वास नहीं है और नेतागीरी चमका रहे हैं वह हल्ला मचा रहे हैं।