दक्षिण एशिया के लिए अचानक आने वाली बाढ़ से जुड़ी मार्गदर्शन सेवाएं शुरू
नई दिल्ली
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन ने 22 अक्टूबर को भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए अचानक आनेवाली बाढ़ से जुड़ी अपनी तरह की पहली मार्गदर्शन सेवाओं की शुरुआत की। इस प्रणाली का आभासी माध्यम से शुभारंभ किया गया और इस कार्यक्रम में डॉ. हिरिन किम (जल विज्ञान और जल संसाधन सेवा विभाग, विश्व मौसम विज्ञान संगठन के प्रमुख), डॉ. कॉन्स्टेंटाइन पी. जॉर्जकाकोस (निदेशक, हाइड्रोलॉजिकल रिसर्च सेंटर, यूएसए), जी.वी.वी. सरमा, आईएएस (सदस्य सचिव, एनडीएमए, भारत), डॉ. राजेंद्र कुमार जैन (अध्यक्ष, केंद्रीय जल आयोग, भारत) और भाग लेने वाले देशों के मौसम विज्ञान के महानिदेशक एवं विश्व मौसम विज्ञान संगठन में स्थायी प्रतिनिधि सर्वश्री कर्मा दुपचू (भूटान), सरजू कुमार बैद्य (नेपाल), अथुला करुणानायके (श्रीलंका) और बिद्युत कुमार साहा (विश्व मौसम विज्ञान संगठन में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि के जल विज्ञान सलाहकार) सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.एम.राजीवन ने अपने उद्घाटन भाषण में, जलदृविज्ञान से जुड़ी व्यवस्था के प्रदर्शन को सुधारने के लिए वर्षा और मिट्टी की नमी के अवलोकन संबंधी नेटवर्क को उन्नत करने की जरूरत पर जोर दिया। राजीवन ने कहा कि सोशल मीडिया के उपयोग के साथ-साथ सभी हितधारकों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक स्वचालित तरीका स्थापित किया जाना चाहिए ताकि सूचनाएं संबंधित आपदा अधिकारियों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचें। आंकड़ों, विशेषज्ञता, विकास और इस इलाके में सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए सदस्य देशों, हाइड्रोलॉजिकल रिसर्च सेंटर और विश्व मौसम विज्ञान संगठन के साथ क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय को मजबूत किया जाना चाहिए।